मनुष्य की मूलभूत ज़रूरतों में रोटी, कपड़ा और मकान के साथ ही मनोरंजन भी शामिल है। आदिम से लेकर आज तक का मानव इतिहास इस बात का गवाह है। २ मिनट किसी से हँस कर बात कर लेने, कोई गाना गुनगुना लेने से जी बहल जाता है। बैटरी चार्ज हो जाती है। हाँ, ये मनोरंजन स्वस्थ होना चाहिए। जो हमें और अच्छा इन्सान बनाने में मददगार हो।